Wednesday, April 6, 2011

रात छिपकली


आधी रात का वक़्त है, शायद 2 -3  बजे का. Bike बहुत तेज़ी से, चुप्पी सी साधे चली जा रही है. थोड़ी देर बाद अचानक break लगता है, और जैसे सब कुछ रुक जाता है. 
वो बड़ी मुश्किल से अपना helmet उतार पाता है, उसे उल्टी होने वाली है. वो उतरने के लिए bike का stand लगाता ही है कि खुद को रोक नहीं पाता और एक तरफ झुक कर, बाइक पर बैठे-बैठे ही उल्टी कर देता है.  
वो उल्टी कर रहा है, खुद को ठीक से सम्हाल नहीं पा रहा है. उसके हाथ से helmet छूट कर सड़क पर लुढ़क गया है.
सड़क के दूसरी तरफ, divider के उस पार इसी वक्त एक कार निकलती है. 
उसकी उल्टी बंद हो चुकी है, और वो धीरे-धीरे हांफ रहा है. उसकी आँखें गीली हो गई हैं, और बहुत पसीना आ रहा है. उल्टी के बाद गले में जम आई खराश को वो बार-बार थूक रहा है. उल्टी के छीटों से उसका एक जूता गन्दा हो चुका है. 
वो रूमाल निकाल कर मुंह पोछता है, बैग से पानी की बोतल निकाल कर अपने सर पर उड़ेल लेता है और सड़क पर लुढके helmet की तरफ नज़र डालता है. 
फिर पीछे मुड़कर देखता है, उस कार की तरफ, जो थोड़ी दूर जाकर एक street lite के नीचे खड़ी हो गई है. वो bike को start किये बिना, धकेलते हुए helmet के पास तक ले जाता है और उसे उठाकर handle पर टांग लेता है. फिर ignition on करके वो एक बार फिर कार की तरफ मुड कर देखता है. 
अब कार के आगे के दोनों दरवाज़े खुल गए हैं और दो-तीन लोग बाहर आकर एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था होते दिख रहे हैं, शायद उनमे एक औरत भी है. 
पता नहीं क्या हो रहा है.
उसके चेहरे पर बड़े-बड़े लफ़्ज़ों में लिखा है who cares
वो bike start करता है और वहां से निकल जाता है.
..............
वो घर पहुँच चुका है और दरवाज़े के ताले में चाबी डालने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अँधेरा होने के कारण ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा. आखिरकार चाबी ताले के अन्दर चली जाती है, लेकिन हमेशा की तरह उसने चाबी को गलत तरफ घुमाया है, लेकिन जब तक उसे ये समझ में आता है, ताला खुल चुका होता है. उसके हाथ को ये पुरानी गलती बार-बार सुधारने की आदत पड़ चुकी है. 
वो अन्दर आता है, सारे कपडे और जूते उतारकर नंगा हो जाता है और kitchen से पानी की बोतल लेकर पूरी गटक जाता है. 
अब वो basin के आईने में खुद को देख रहा है. 
उसे अपना चेहरा सूजा हुआ सा दिख रहा है और ऐसा लग रहा है जैसे उसके होंठ और ज्यादा मोटे हो गए हों. उसे अपने बाल भी अजीब लग रहे हैं, सूखे और एक दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए. उसे महसूस होता है कि आजकल वो बहुत बेढंगा दिखने लगा है. 
वो basin का tap on करता है और चेहरे पर पानी उछालता है. वो बहुत देर तक अपनी आँखें धोता रहता है. लेकिन फिर भी उनकी किरकिरी ख़तम नहीं होती. वो basin में ही अपने बाल भी गीले कर लेता है. 
वो फिर से खुद को आईने में देखता है, उसका चेहरा अब ज्यादा साफ़ दिख रहा है, और बालों से पानी की बूँदें टपक रही हैं, लेकिन उसे महसूस होता है कि खुद को इस तरह धो लेने के बाद भी उसके बेढंगेपन में कोई कमी नहीं आई है. उसे ये भी अजीब लगता है कि उसके कई हफ़्तों से अपने सीने के बाल shave नहीं किये हैं. 
अचानक वो तय करता है कि बहुत हो गया, ऐसे नहीं चलेगा. वो अपना razor उठता है और shower के नीचे आकर खड़ा हो जाता है. पानी बहुत ठंडा है, लेकिन वो shower बंद नहीं करता. shave करते वक़्त वो सोच रहा है कि उस कार में वो लोग कौन थे, वो औरत कौन थी?
पता नहीं कोई औरत थी भी या उसे बस धोखा हुआ है.
Shave के बाद वो shampoo की बोतल उठाता है. उसे इस shampoo की खुशबू बहुत पसंद है, हथेली पर ढेर सारा लेकर वो उसे अपनी नाक के करीब लाकर सूंघता है. ये shampoo दिखता भी बहुत खूबसूरत है, transparent और गाढ़ा, बेहद मुलायम सा. वो हथेली पर पड़े shampoo को चखने की कोशिश करता है, लेकिन इसका स्वाद बहुत ख़राब है. वो उसे थूक देता है और फिर बहुत देर तक shower के नीचे खड़ा रहता है. कितना सुकून मिल रहा है. 
Bathroom से बाहर आकर वो खुद को अपने उस blue towel से पोछता है और फिर पंखे के नीचे आकर खड़ा हो जाता है. खुद को आईने में देखता है, उसकी आँखे बहुत लाल हैं और दर्द कर रही हैं. लेकिन फिर भी उसे अच्छा  लग रहा है. बाल अब तक पूरी तरह सूखे नहीं हैं, लेकिन वो गीले बालों पर ही brush कर लेता है. 
उसने कपडे नहीं पहन रखे हैं, और पंखे की हवा बहुत तेज़ है. उसे हलकी ठण्ड भी लग रही है, लेकिन वो पंखे को धीमा नहीं करता. 
सुबह के 5 बजने वाले हैं.
वो टीवी ऑन करता है, TCM पर कोई फिल्म आ रही है, शायद क्युब्रिक की लोलिता. लेकिन वो काफी थका हुआ है, इसलिए टीवी mute कर के बिस्तर पर निढाल हो जाता है. 
पंखा अब भी उतना ही तेज़ चल रहा है और हमेशा की तरह आज फिर उसे लग रहा है, कि अभी ये पंखा आकर उस पर गिरेगा और उसके हाथ-पैर कट जायेंगे और कमरे की सारी दीवारें लाल हो जाएँगी. 
ये डर उसके मन में बचपन से ही है, पता नहीं कहाँ से आया है.
उसे फिर से हलकी ठण्ड महसूस हो रही है.
....................
दोपहर का वक़्त है. तेज़ धूप है. वो एक petrol pump पर अपनी bike के साथ खड़ा है, लेकिन उसे याद नहीं आ रहा कि उसने petrol भरवा लिया है या नहीं. 
उसे हलकी ठण्ड भी लग रही है, जबकि धूप बहुत तेज़ है. 
एक कार petrol pump की तरफ आती हुई दिखाई देती है, बिलकुल कल रात जैसी. वो कार उससे थोड़ी दूरी पर आकर रुक जाती है, और उसमे से एक लड़की बाहर आती है. 
वो उसी की तरफ देख रही है, उसके होंठ कत्थई रंग के हैं, वो उसके करीब आ रही है.
लड़की का चेहरा जाना-पहचाना सा लग रहा है, लेकिन उसे उसका नाम याद नहीं आ रहा. वो काफी करीब आ जाती है और अचानक उसके ऊपर उल्टी कर देती है, वो सकपका कर रह जाता है. 
उसके पैर लड़की की उल्टी में सन चुके हैं और अब petrol pump पर खड़ा हर आदमी उसे घूर रहा है, जैसे सारी गलती उसी की हो.
वो लड़की भी उसी को घूर रही है, उसके हाथों में वही blue towel है. 
उसे समझ में नहीं आ रहा कि आखिर ये हो क्या रहा है.
उसे अब भी हलकी ठण्ड लग रही है.