Wednesday, July 31, 2013

आखिरी झगडा

: भाड़ में जाओ तुम!
: अरे नाराज़ क्यूँ हो रहे हो, क्या गलत कहा मैंने?

: नहीं नहीं, तुम कभी कुछ गलत कहती हो? साला मैं ही चूतिया हूँ!
: Oh please!

: क्यूँ? हिंदी में गाली बड़ी cheap लग रही होगी... नहीं?
: ओफ़... क्या हो गया है तुम्हें? कितना judge करने लगे हो!

: मैं कितना judge करने लगा हूँ, ये भी एक judgement ही है... तुम्हारा judgement.
: इतनी बुरी लगने लगी हूँ, तो छोड़ क्यों नहीं देते?

: मैंने रोक के नहीं रखा है तुम्हें!
: हाँ ठीक है यार, ख़तम करो फिर!


: साफ़-साफ़ क्यों नहीं बोलतीं कि मन भर गया है तुम्हारा?
: हाँ, भर गया है मन! ठीक है? और कुछ बुलवाना चाहते हो मुझसे?

: नहीं बस यही सुनना चाहता था मैं.