11:50 PM, 28/MAY/2011
डायरी,
आज 28 मई है, उसकी मौत को पूरा एक साल हो गया आज. 6 साल की थी उस वक्त वो. अचानक ही हुई थी उसकी मौत, कोई बीमारी नहीं थी उसे, बस एक दिन अचानक उसके स्कूल से फ़ोन आया, उसकी मम्मी ने उठाया, मैं तो उस वक्त ऑफिस में था, बताया गया कि वो बेंच पर बैठे बैठे ही बेहोश हो गई, हम दोनों किसी तरह भागे-भागे स्कूल पहुंचे, तब भी वो बेहोश ही थी, उसे हॉस्पिटल लेकर गए, लेकिन डॉक्टर ने 8-10 मिनट में ही कह दिया कि she is no more. बाद में पता चला कि हॉस्पिटल पहुँचने से पहले ही उसकी जान निकल चुकी थी. हम दोनों ये समझ ही नहीं पाए कि स्कूल से हॉस्पिटल के रास्ते किस पल वो हमें छोड़ के चली गई.
डायरी,
आज 28 मई है, उसकी मौत को पूरा एक साल हो गया आज. 6 साल की थी उस वक्त वो. अचानक ही हुई थी उसकी मौत, कोई बीमारी नहीं थी उसे, बस एक दिन अचानक उसके स्कूल से फ़ोन आया, उसकी मम्मी ने उठाया, मैं तो उस वक्त ऑफिस में था, बताया गया कि वो बेंच पर बैठे बैठे ही बेहोश हो गई, हम दोनों किसी तरह भागे-भागे स्कूल पहुंचे, तब भी वो बेहोश ही थी, उसे हॉस्पिटल लेकर गए, लेकिन डॉक्टर ने 8-10 मिनट में ही कह दिया कि she is no more. बाद में पता चला कि हॉस्पिटल पहुँचने से पहले ही उसकी जान निकल चुकी थी. हम दोनों ये समझ ही नहीं पाए कि स्कूल से हॉस्पिटल के रास्ते किस पल वो हमें छोड़ के चली गई.
15 अगस्त को उसका बर्थ डे आने वाला था. हम दोनों उसे प्यार से बेटू कहा करते थे. हमारी बेटू.
कहने को तो एक साल हो गया उसे गए, लेकिन मुझे आज भी लगता है कि एक दिन जब मैं ऑफिस से लौट के घर की कॉल बेल बजाऊंगा तो वो अपने विडियोगेम का रिमोट हाथ में लिए दरवाज़ा खोलेगी, और फिर जिद करके मुझे अपने पास बिठा लेगी, कि नहीं... नहीं...नहीं आप भी मेरे साथ खेलो ना पापा... प्लीज़.
कई बार सोचता हूँ, कि आखिर ऐसा क्या हुआ था उसे, जो अचानक कुछ ही मिनटों में सब खत्म हो गया. डॉक्टर ने बताया था कि मौत दिल की धड़कन रुकने से हुई थी, लेकिन क्या 6 साल की छोटी सी बच्ची की मौत की ये वजह झूठ नहीं लगती?
सोचा था कि अच्छे से अच्छे डॉक्टर से बात करूंगा, पर उसकी मौत की सच्ची वजह पता कर के रहूँगा... लेकिन एक दो डॉक्टर्स से मिलने के बाद ही लगने लगा, कि मैं उनका और अपना दोनों का वक्त ज़ाया कर रहा हूँ.
वैसे भी, अगर कोई डॉक्टर सही वजह बता भी देता तो क्या फर्क पड़ जाता? बेटू वापस तो नहीं आ जाती? अब तो उसकी मम्मी ने भी मान लिया है कि शायद दिल की धड़कन ही रुकी होगी, या शायद हम दोनों ने.
उसके पीले रंग के वो जूते हमने अब भी सम्हाल के रखे हैं, उसे बहुत पसंद थे वो. नीचे वाले फ्लैट के डॉ. सहाय की बेटी मीनू के जूते देख कर उसने जिद पकड़ ली थी, कि उसे भी बिकुल वैसे ही चाहिए, और जब मैं उसे लेकर बाज़ार गया, तो मीनू के जूते भूल कर उसने ख़ुशी-ख़ुशी अपने लिए ये पीले जूते पसंद कर लिए.
फिर वो हर वक्त इन्हें ही पहने रहती, यहाँ तक कि रात को बिस्तर पर जाते वक्त भी नहीं उतारती, फिर जब उसकी आँख लग जाती, तो मैं चुपचाप उन्हें उतारता था. दिन भर जूते पहने रहने के कारण उसके पंजों में कुछ देर के लिए निशान से पड़ जाते, मैं उन्हें सहलाते हुए दूर करता.
जब वो मेरी किसी चीज़ से बहुत खुश हो जाती तो कहती कि बड़ी होकर वो मुझसे ही शादी करेगी, इस बात पर उसकी मम्मी उसे चिढाया करती कि जब तक वो बड़ी होगी, तब तक तो पापा बुड्ढे हो जायेंगे, और फिर उसे बुड्ढे पापा से शादी करनी पड़ेगी. इस बात पर वो बहुत नाराज़ हो जाती और तब तक नहीं मानती, जब तक उसे उसका फेवरेट ऑरेंज जैम जी भर कर खाने की इजाज़त न मिल जाए. हमें इस तरह ब्लैकमेल करना उसे खूब आता था.
मुझे याद है, एक बार उसने मुझसे पूछा था कि पापा आप सहाय अंकल की तरह दोपहर में ही घर क्यों नहीं लौट आते? मैंने उसे समझाया कि बेटू पापा को ऑफिस में बहुत काम करना पड़ता है, बस इसीलिए. ये सुनकर उसने हाँ में सिर ज़रूर हिलाया था पर शायद मेरी बात का मतलब वो समझ नहीं पाई थी, अपनी मम्मी से भी वो यही शिकायत करती कि पापा जल्दी घर नहीं आते.
अब सोचता हूँ कि काश मैंने उसे कुछ और वक्त दिया होता... काश उसके साथ रोज़ विडियो गेम खेला होता...
वैसे अब उसे याद करते हुए मुझे रोना नहीं आता, बस कुछ पलों के लिए एक खालीपन सा उभर आता है....... नहीं... नहीं...नहीं आप भी मेरे साथ खेलो ना पापा... प्लीज़.